Chab Apni Banai Ke Bann Than Ke | Lyrics | Nusrat Fateh Ali Khan | NusratSahib.Com

खुसरो रैन सुहाग की 

मैं जागी पी के संग 

तन मोरा मन पिया का 

जो दोनों एक ही रंग


खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलु ख्वाजा संग 
जीत गई तो ख्वाजा मोरे हारी ख्वाजा संग 

छब अपना बनाई के बन ठन के 

मैं जो ख्वाजा के दरबार गई

देखा रूप सलोना ख्वाजा का 

ख्वाजा जीत गए मैं हार गई 


मोरे नैना लागे ख्वाजा से


जो होगा देखेंगे

मोरे नैना लागे ख्वाजा से



मोरे नैन पिया संग लाग रहे 

मोहे होश नहीं अभ तन मन का 

मैं सुध बुध अपनी भूल गई 

मुख देख के अपने साजन का 


कह दू तो मोहे राम डर काहे का 

प्रीत करी न कोई चोरी रे 


सईयां नगर की पूछत मोहे 

कौन तिहारो वर है

लाज की मारी कह न सकू मैं 

गंज शकर से नैना लागे 


देखा रूप सलोना ख्वाजा का 

ख्वाजा जीत गए मैं हार गई 


मोरे साचो बालम तुम क्यों रूठे 

हम मान गए पिया हम जूठे 

सारा जग रूठे तुम रुठियो 

मोरे रूठ तिहारी मार गई 


दुल्हन जो प्यारी साजन की 

रुत उस को मुबारक सावन की 

मैं किस गन पी के मन भाऊ 

मोरी सावन रुत बेकार गई