खुसरो रैन सुहाग की
मैं जागी पी के संग
तन मोरा मन पिया का
जो दोनों एक ही रंग
खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलु ख्वाजा संग
जीत गई तो ख्वाजा मोरे हारी ख्वाजा संग
छब अपना बनाई के बन ठन के
मैं जो ख्वाजा के दरबार गई
देखा रूप सलोना ख्वाजा का
ख्वाजा जीत गए मैं हार गई
मोरे नैना लागे ख्वाजा से
जो होगा देखेंगे
मोरे नैना लागे ख्वाजा से
मोरे नैन पिया संग लाग रहे
मोहे होश नहीं अभ तन मन का
मैं सुध बुध अपनी भूल गई
मुख देख के अपने साजन का
कह दू तो मोहे राम डर काहे का
प्रीत करी न कोई चोरी रे
सईयां नगर की पूछत मोहे
कौन तिहारो वर है
लाज की मारी कह न सकू मैं
गंज शकर से नैना लागे
देखा रूप सलोना ख्वाजा का
ख्वाजा जीत गए मैं हार गई
मोरे साचो बालम तुम क्यों रूठे
हम मान गए पिया हम जूठे
सारा जग रूठे तुम रुठियो
मोरे रूठ तिहारी मार गई
दुल्हन जो प्यारी साजन की
रुत उस को मुबारक सावन की
मैं किस गन पी के मन भाऊ
मोरी सावन रुत बेकार गई